अनु से अनामिका तक का सफऱ
नाम- अनामिका जैन ( अनु)
पिता- कैलाश चन्द्र जी
पिता शासकीय कर्मचारी (राज.) (कलेक्ट्रेट में यू.डी.सी. के पद पर कार्यरत ) थे।
अनामिका जैन ने अपनी स्कूली शिक्षा पिता की नोकरी अनुसार कई शहरों रह कर सम्पन्न की व पिता के vrs लेने के बाद नीमच में परिवार के साथ बस गए
स्कूली शिक्षा के दौरान अपने पॉकेट मनी के रुपयों से एक सहपाठी छात्रा की फीस जमा करने के बाद जिस खुशी को अनुभव किया उसके बाद से समाजसेवा के प्रति लगाव सा हो गया ।
ओर हर जरूरतमन्द की मदद करने का मन बना लिया धीरे धीरे उम्र बड़ी तो हौसला भी बढ़ता गया
ओर सन 2006 में शहर मंदसौर में बालिका आश्रयग्रह ( अपना घर ) में 2 वर्षों तक सेवाएं दी
व 2008 में संजीत निवासी प्रदीप जैन से शादी की उसके बाद पति का सहयोग भी मिला और इसी दौरान बड़ी पुल कुष्ठ बस्ती में निशुल्क स्कूल का संचालन कर बच्चो को पढ़ाया उन्हें कागज़ पन्नी बीनने से रोका और शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा
ऐसी दौरान हर जरूरतमन्द की मदद करती रही किसी को ब्लड की आवश्यकता हो किसी को नसबंदी करवाना हो ऐसे अनेक सेवा कार्य किये।
वर्ष 2016 में गांव संजीत में निशुल्क सिलाई, केंद्र का शुभारंभ किया जहाँ असहाय परित्याग, निर्धन महिलाओं एवं बालिकाओं को सिलाई, मेहदी, ब्यूटीपार्लर का प्रशिक्षण दिया गया जिससे 350 से ज्यादा महिलाओं को लाभ मिला व आत्मनिर्भर बनी।
1 वर्ष बाद संजीत बस स्टैंड पर असहाय बीमार हालत में एक मानसिक विक्षिप्त महिला दिखी जो कि बहुत नाजुक हालत में थी
उसको तुरंत जिला चिकित्सालय लाई व उपचार करवाया महिला ठीक हुई तो जिला प्रशासन के आदेश पर महिला को उज्जैन स्तिथ सेवा धाम आश्रयग्रह पहुँचाया यही से लावारिस विक्षिप्त महिलाओं के प्रति कार्य करने की प्रेरणा मिली और जिले में दर दर भटकती 8 से 10 महिलाओं को सेवा धाम उज्जैन व बाणगंगा हॉस्पिटल इंदौर पहुँचाया।
मेरे इस कार्य से प्रभावित हो कर वर्ष 2018 में तत्कालीन जिला कलेक्टर महोदय, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, महोदय, पुलिस अधीक्षक महोदय, नगर पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा मुझे ऐसी महिलाओं को आश्रय देने हेतु एक भवन (सामाजिक न्याय निधि से निर्मित) उपलब्ध करवाया गया
जहाँ इन महिलाओं को आश्रय दिया जा सके।
आश्रयग्रह संचालन के शुरुआत में 2 महिलाओं से शुरू हुआ था और बीते 4 वर्षो में 20 से ज्यादा महिलाओं का पुनर्वास ( अपने परिवार तक पहुंचाया) आश्रयग्रह द्वारा किया जा चुका है।
आश्रयग्रह में लाई गई महिलाओं का उपचार, आश्रयग्रह द्वारा करवाया जाता है महिलाओं के ठीक होने पर उनके परिवार का पता लगाया जाता है परिवार मिलने पर उन्हें सुरक्षित अपने परिवार से मिलाया जाता है।
यहाँ निवासरत महिलाओं के उपचार, भोजन,व अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति पूर्ण जनसहयोग द्वारा की जाती है।
मेरे कार्यो को देख कई सामाजिक एवं,प्रशासनिक स्तर पर मुझे ट्रॉफी एवम प्रशंसा पत्र से सम्मानित भी किया गया वर्तमान में 08 दिसंबर 2022 को मंदसौर शहर में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह जी द्वारा मंदसौर की पावन धरा पर मुझे दशपुर गौरव रत्न से सम्मानित किया गया।
मेरे द्वारा किये जा रहे सेवा कार्य मे मंदसौर जिला पुलिस प्रशासन का सहयोग हमेशा सराहनीय रहा
अनामिका जनकल्याण सेवा समिति एवं जनसहयोग द्वारा संचालित इस आश्रयग्रह को
स्थानीय एवं अन्य शहरों के समस्त सहयोगकर्ताओ से भी सराहनीय सहयोग मिलता रहा है।
आज यहाँ 16 महिलाएं निवासरत है। जिनमे 1 वर्ष की बालिका से 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला निवासरत है।
महिलओं की देख रेख के लिए महिला कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है जिसमे एक रसोइया, एक अधीक्षिका, तीन वार्डन, नियुक्त की गई है।
वर्ष 2022 में महिलाओं की संख्या एवम भवन की कमी को देखते हुवे तत्कालीन कलेक्टर श्रीमान गौतम सिंह जी द्वारा एक बिल्डिंग ओर आश्रयग्रह को प्रदान की गई है जिसमे 20 से अधिक महिलाओं को आश्रयग्रह दिया जा सके।